Operation Sindoor : जब दिल्ली में मिली रेडियोधर्मी खतरे की आहट
भारत की राजधानी दिल्ली अपनी जीवंतता और इतिहास के लिए जाना जाने वाला शहर है। लेकिन कुछ साल पहले इस शहर ने एक ऐसी घटना का सामना किया जिसने सभी की सांसे रोक दी थी। यह घटना थी ‘Operation Sindoor’, एक ऐसा अभियान जिसने दिल्ली को संभावित रेडियोधर्मी खतरे से बचाया। शायद बहुत कम लोग इस ऑपरेशन के बारे में विस्तार से जानते होंगे। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि यह ऑपरेशन क्या था और इसने कैसे एक गंभीर संकट को टाला। यह साल 2010 की बात है।
दिल्ली के मायापुरी इलाके में एक कबाड़ की दुकान में कुछ ऐसा मिला जिसने सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ा दिए। यह कोई साधारण कबाड़ नहीं था, बल्कि कोबाल्ट-60 नामक एक रेडियोधर्मी पदार्थ था। यह पदार्थ इतना खतरनाक था कि इसके संपर्क में आने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती थीं, यहां तक कि मौत भी हो सकती थी। जैसे ही इस खतरनाक खोज की खबर फैली, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के विशेषज्ञों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की टीमों को तुरंत मौके पर बुलाया गया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तुरंत एक विशेष अभियान शुरू किया गया, जिसे ‘Operation Sindoor ‘ नाम दिया गया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य रेडियोधर्मी पदार्थ को सुरक्षित तरीके से बरामद करना और यह सुनिश्चित करना था कि इससे किसी व्यक्ति को कोई नुकसान न पहुंचे।
BARC के वैज्ञानिकों ने तुरंत कार्रवाई की और उस क्षेत्र को सील कर दिया और खतरनाक पदार्थ की पहचान की। पता चला कि कोबाल्ट-60 का यह टुकड़ा दिल्ली विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग से स्क्रैप के रूप में बेचा गया था। यह एक गंभीर लापरवाही थी, जिससे एक बड़ा खतरा पैदा हो गया। Operation Sindoor कई दिनों तक चला। विशेषज्ञों ने सावधानीपूर्वक रेडियोधर्मी पदार्थ को निकाला और उसे विशेष कंटेनरों में सुरक्षित किया।
इस दौरान आसपास के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया और क्षेत्र की गहन जांच की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई और रेडियोधर्मी पदार्थ मौजूद न हो। सबसे चिंताजनक बात यह थी कि इस रेडियोधर्मी पदार्थ के संपर्क में आने से कई लोग बीमार पड़ गए। उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनका इलाज किया गया। इस घटना ने एक बार फिर रेडियोधर्मी पदार्थों के सुरक्षित संचालन और निपटान के महत्व को उजागर किया है। Operation Sindoor एक सफल अभियान साबित हुआ। सुरक्षा एजेंसियों और वैज्ञानिकों की त्वरित कार्रवाई ने दिल्ली को एक बड़े खतरे से बचा लिया। लेकिन इस घटना ने कई सवाल भी खड़े कर दिए। क्या हमारे संस्थानों में रेडियोधर्मी पदार्थों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं? क्या कबाड़ के कारोबार में ऐसे खतरनाक पदार्थों की जांच के लिए कोई कारगर व्यवस्था है?
Operation Sindoor हमें याद दिलाता है कि परमाणु ऊर्जा और रेडियोधर्मी पदार्थों का इस्तेमाल सावधानी और जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए। यह घटना यह स्पष्ट करती है कि एक छोटी सी लापरवाही भी कितना बड़ा खतरा पैदा कर सकती है।
आज भले ही Operation Sindoor पुरानी खबर बन गई हो, लेकिन इसके सबक हमेशा महत्वपूर्ण रहेंगे। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और हमारे शहर और नागरिक सुरक्षित रहें। यह सिर्फ सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक को भी सतर्क रहना होगा और किसी भी संदिग्ध चीज की तुरंत सूचना अधिकारियों को देनी होगी।
दिल्ली को बचाने वाला खामोश योद्धा Operation Sindoor हमेशा हमारी यादों में रहेगा।